चवन्य ऋषि आश्रम!ढोसी का पहाड़ का परिचय
Table of Contents
त्रेता युग में बना, महाभारत तथा पुराणों में वर्णित,अग्नेयशैलों से निर्मित,अरावली पर्वत का हिस्सा,ढोसी का पहाड़ आयुर्वेदिक चमनप्राश तथा कायाकल्प जैसे चमत्कारी औषधियों की जन्मस्थली है। यह हरियाणा राज्य के महेंद्रगढ़ जिले में, नारनौल शहर के पास स्थित है। यह एक सुषुप्त ज्वालामुखी पर्वत के अनेक गुणकारी पत्थरों तथा वनस्पतियों से युक्त है।इसी पहाड़ी पर वैदिक काल के प्रसिद्ध ऋषि चवन्य ऋषि का आश्रम भी है।तथा पांडवों ने अपने अज्ञातवास के दौरान इस पहाड़ी पर आश्रय लिया था। इसकी ऊंचाई 470 मीटर है।
वैदिक काल के चवन्य ऋषि इसी पर्वत पर तप में लीन हो गए थे। और उनके चारों तरफ मिट्टी का आवरण चढ़ गया था। इसी समय सूर्यवंशी राजा सरियाद अपने पूरे परिवार सहित भ्रमण पर आए हुए थे।तभी उनकी बेटी सुकन्या ऋषि को मिट्टी का ढेर समझ कर उनकी आंखों में लकड़ी घुसा दी।उनकी आंखों से खून बहने लगा के बाद राजा ने देखा कि यह तो चवन्य ऋषि तप में लीन है।आत्मग्लानि से बोध हो करके सुकन्या ने ऋषि से विवाह करने का फैसला किया। देवताओं के वैद्य अश्विनी कुमार ने ऋषि चवन्य को युवा बना दिया। उसके बाद ऋषि चवन्य ने अपने तप से इस क्षेत्र को दिव्य बना दिया। और यहीं पर चमत्कारी जड़ी बूटी,जो हमेशा शरीर को स्फूर्ति बनाए रखती है की मदद से चमनप्राश ,कायाकल्प,शंखपुष्पी जैसे गुणकारी औषधियों का निर्माण ऋषि द्वारा किया गया इसलिए इस पहाड़ी की महत्व और भी बढ़ गया।
ढोसी का पहाड़ घूमने का खर्च
इस पहाड़ पर घूमने के लिए आप अपने सामान्य से बजट में भी मैनेज कर सकते हैं। यह पहाड़ सड़क मार्ग तथा रेल मार्ग से आसानी से जुड़ा हुआ है। इसलिए इस जगह पर जाने का खर्चा बहुत ज्यादा नहीं आता। साथ ही में इस पहाड़ पर रुकने के लिए धर्मशाला भी है।इसलिए आपके घूमने का खर्च और भी कम हो सकता है।
ढोसी का पहाड़ घूमने कैसे जाए
महेंद्र गढ़ जिले के नारनौल शहर से 12 किलोमीटर दूरी पर स्थित ढोसी की पहाड़ी सड़क मार्ग तथा रेल मार्ग से सुगम रूप से जुड़ा हुआ है।यदि आप सड़क मार्ग द्वारा ढोसी की पहाड़ी की यात्रा करना चाहते हैं तो आप हरियाणा से होते हुए करनाल शहर के पास से धोसी की पहाड़ी सड़क मार्ग से पूरी कर सकते हैं इसके लिए आप बस, प्राइवेट कार, बाइक,टैक्सी, कैब का सहारा ले सकते हैं।वहीं यदि आप रेल मार्ग द्वारा ढोसी की पहाड़ी तक जाना चाहते हैं तो आपको ट्रेन से नियरेस्ट रेलवे स्टेशन तक आना होगा। उसके बाद आप बस, कार ,कैब ,शेयरिंग टैक्सी,स्कूटी,बाइक आदि से भी ढोसी की पहाड़ी तक पहुंच सकते हैं।इसके पश्चात ढोसी के पहाड़ी के पास पडने वाले पहले गांव कुलताजपुर से ढोसी के पहाड़ियों के लिए सीढ़ियां शुरू हो जाती हैं। जिससे आपको पैदल चलकर ढोसी की पहाड़ी की चोटी पर पहुंचना होगा और अपनी यात्रा पूरी करनी होगी।
ढोसी के पहाड़ पर जाए तो क्या क्या ले जाए
ढोसी की पहाड़ी पर आप जब भी घूमने जाएं तो,अपने दैनिक जीवन की अति आवश्यक चीजों को अवश्य ले जाएं। साथ ही में आप पीने का पानी आदि ले जा सकते हैं। यदि आपको वहां के कुंड में स्नान करना हो तो आप को पहनने के लिए अतिरिक्त कपड़ा भी साथ रखना पड़ेगा।इसके अलावा अगर आप फोटो खींचने के शौकीन है तो आप कैमरा भी ले जा सकते हैं इसके साथ ही आप अपने खाने-पीने का थोड़ा बहुत समान भी साथ रख सकते हैं।
ढोसी के पहाड़ पर घूमने कब जाएं…
ढोसी की पहाड़ी की यात्रा का प्लान बनाते समय हमारे मन में यह बात आप जरूर आती है, कि हम ढोसी की पहाड़ी की यात्रा करने जाएं तो कब जाये।आइए हम इस लेख में इसके बारे में जानते हैं।जैसा कि हमें पता है कि ढोसी की पहाड़ी अपने धार्मिक महत्व के साथ-साथ आयुर्वेदिक जड़ी बूटियों के लिए भी विख्यात है।इसलिए मेरा मानना यह है कि मानसून के मौसम में जब 1,2 बारिश हो जाए उसके बाद अगर आप ढोसी की पहाड़ी पर घूमने जाये ,तो वहां की जड़ी बूटियां फल-फूल जाती है।जिसे देखना आपके लिए काफी महत्वपूर्ण होगा। परंतु ज्यादा बारिश के मौसम में आपको इस पहाड़ी पर जाने से बचना चाहिए। क्योंकि इस समय पहाड़ी पर ज्यादा ही झाड़ियां उग आती है। साथी में फिसलन भी बढ़ जाती है,जिससे कि आपकी यात्रा दुर्लभ हो सकती है। वहीं यदि आप ढोसी के पहाड़ी पर स्थित पवित्र कुंड में स्नान करने की मंशा से जाते हैं तो आपको सोमवती अमावस्या के टाइम जाना चाहिए जिस समय की कुंड में पानी अपने आप भरा हो और आप स्नान भी कर सकें।
ढोसी के पहाड़ पर घूमने जाएं तो कहां रुके….
ढोसी की पहाड़ी पर यदि आप घूमने जाते हैं तो आपके मन में यह विचार अवश्य आता है, कि यहां घूमने जाएंगे तो रुकेंगे कहां?इसी बात को समझने के लिए आइए हम इस लेख को आगे पढ़ते हैं ढोसी की पहाड़ी पर विश्रामगृह स्थित है।जहां आप आराम से रुक सकते हैं। इसके साथ ही ढोसी की पहाड़ी पर रॉयल गेस्ट हाउस भी आपके लिए रुकने की एक अच्छी जगह है।
ढोसी के पहाड़ पर पर्यटकों के लिये प्रमुख आकर्षक बिंदु क्या-क्या है…
जैसे कि हम लोग पढ़ चुके हैं, कि ढोसी की पहाड़ी अपने धार्मिक महत्व के साथ चिकित्सीय महत्व, एतिहासिक महत्व वाला स्थान भी है। आइए इन स्थानों के बारे में जानते हैं…
आयुर्वेदिक जड़ी– बूटियां-चमनप्राश, शंखपुष्पी,कायाकल्प नामक औषधि की जन्म स्थली के रूप में विख्यात,यह पहाड़ी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती है।
परिक्रमा मार्ग-ढोसी की पहाड़ी पर 8 किलोमीटर का लंबा परिक्रमा मार्ग भी स्थित है। जो कि धार्मिक आस्था रखने वालों के लिए काफी महत्वपूर्ण है।
रॉयल गेस्ट हाउस-राजस्थान और हरियाणा की सीमा पर स्थित होने के कारण यह जगह पर सर्दियों में राजस्थान से आने वाले पर्यटकों के लिए यह काफी महत्वपूर्ण हो जाती है। रास्ते में पड़ने के कारण पर्यटक यहां पर आकर रुकना पसंद करते हैं।
सबसे प्राचीन वैदिक धर्म स्थलों में से एक-महाभारत व पुराणों में वर्णित यह स्थान धार्मिक आस्था में विश्वास रखने वाले लोगों के लिए यह धार्मिक स्थल काफी आकर्षक है।
मंदिर ( शिव मंदिर, राम मंदिर, माता मंदिर)-ढोसी की पहाड़ी पर अनेक मंदिर स्थित है।जिनमें राम मंदिर शिव मंदिर तथा माता का मंदिर प्रमुख है। यह भक्तों को अपनी तरफ काफी आकर्षित करता है।
तालाब तथा कुंड-इसी पहाड़ी पर शिव कुंड तथा चंद्रकूप है। जिसमें यह मान्यता है कि सोमवती अमावस्या के दिन अपने आप पानी बाहर आने लगता है। जो कि ज्वार भाटा के कारण संभवत घटित होता है। ऐसे में लोग इसके स्नान के लिए बहुत दूर-दूर से आते हैं। साथ ही इसी दिन यहां बड़े स्तर पर मेला भी लगता है। जो लोगों को काफी आकर्षित करता है।
हेमू के किले का खंडहर-इतिहास में रूचि रोकने वाले लोगों के लिए यह स्थान आकर्षित करता है। क्योंकि यहां पर हेमू ने 500 साल पहले एक किला बनवाया था। जिसका अवशेष अभी भी इस स्थान पर स्थित है।
गुफाएं तथा जंगल-इन सब चीजों के अलावा ढोसी की पहाड़ी पर अनेक गुफाएं तथा चारों तरफ जंगल मौजूद है ।जो कि प्राकृतिक प्रेमियों तथा रोमांच प्रिय लोगों को अपनी तरफ आकर्षित करता है।
चवन्य ऋषि आश्रम-वैदिक काल के प्रसिद्ध ऋषि चवन्य ने इसी पहाड़ी की चोटी पर बैठकर के तप किया। और उन्होंने चमनप्राश,कायाकल्प, शखपुष्पी जैसी चमत्कारी आयुर्वेदिक औषधि का का भी निर्माण किया।उनका आश्रम भी इसी चोटी पर स्थित है। चौकी पर्यटकों को खूब आकर्षित करता है।
ढोसी के पहाड़ पर कैसे घूमे…
ढोसी की पहाड़ी घूमने के लिए आप वहां के लोकल गाइड का सहारा ले सकते हैं।जबकि इसके अलावा आप खुद से भी इस पहाड़ी के सुंदर तथा धार्मिक महत्व की चीजों का आनंद उठा सकते हैं।
वेद पुराणों में उल्लिखित, इस धार्मिक और दिव्य जड़ी-बुटियों वाले त्रेतायुगी स्थल पर आप घूमने अवश्य जाए। परन्तु इस बात का ध्यान अवश्य रखें कि,अनावश्यक रूप से कूडा-कचरा न फैला कर इसकी स्वच्छता में अपना सहयोग अवश्य दें।यही हमारी टीम trippundit की आपसे अपेक्षा और अपील है।